A Restless Mind
Saturday, October 20, 2012
आज की राजनीति
आज राजनीति में महात्मा की ज़रुरत हैं, या कुटिल चाणाक्य की ?
रावण अनेक हों तो, राम की आवश्यकता हैं, या परशुराम की ?
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